शुक्रवार, 24 फ़रवरी 2012

हुस्न की बात...

हुस्न की बात,

तुमको देखा है जब से आँखों ने
और कोई चेहरा नजर नहीं आता
तुम हर नजर का ख़्वाब हो,
हर दिल की धडकन हो
कैसे तारीफ करता तुम्हारे हुस्न की
तुम्हारा चेहरा तो किताबी है,
कहाँ से आया इतना हुस्न....
जबाब में वे मुस्करा दिए और बोले-?
कुछ तो आपकी मोहब्बत का नूर है
कुछ कोशिश हमारी है
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DHEERENDRA,

18 टिप्‍पणियां:

  1. बसन्त के मौसम में बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति दी है आपने!

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  2. ये नूर और ये कोशिश दोनों बनी रहे.

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  3. बहुत सुन्दर प्रस्तुति ,

    बधाई

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  4. प्रदर्शित चित्र से भी अधिक सुन्दर कविता।

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  5. बहुत सुन्दर प्रस्तुति
    आपकी इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा कल दिनांक 27-02-2012 को सोमवारीय चर्चामंच पर भी होगी। सूचनार्थ

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  6. आपने अपनी प्रस्तुति को बेहतर ढंग से प्रस्तुत किया है । सदा सृजनरत रहें ।मेरे पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।

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  7. सुन्दरता को सुन्दर संजोया है..
    kalamdaan.blogspot.in

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  8. महब्बत का नूर अक्सर दूर से चमकता दमकता है ...
    बाखूबी लिखा है ...

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  9. प्यार की इबारत है,तरुनाई का एहसास है.

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  10. कुछ तो है आपकी मोहब्बत का नूर....सही तो है ..सुंदरता देखने वालों की आँखों में होती है.

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  11. बहुत सुंदर संवेदनशील भाव समेटेैं ,बहुत ही अच्छा लिखा है!

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  12. आपका ब्लॉग पर आकार मेरे भतीजे दक्ष को जन्मदिन पर शुभकामनाएं और बधाई दी उसके लिए आभारी हूं
    "AAJ KA AGRA BLOG"

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