गुरुवार, 29 मार्च 2012

बस! काम इतना करें....


बस! काम इतना करें,

अपने गम को और कम कितना करें
शेष तुम कहो हम कम उतना करे,

है पता मुझको तेरे रूठ जाने का
प्यार भी आखिर रोज कितना करें,

पाप-पुण्य का होता कोई माप नही
तौल-धरम का हिसाब ऐसे में कितना करें,

बात नही अगर कोई छुपाने की
जमाने से डर फिर कितना करें,

तुम हमे भूलो हम तुम्हे भूलें
हो सके तो बस! काम इतना करें,


DHEERENDR,:"dheer"

23 टिप्‍पणियां:

  1. है पता मुझको तेरे रूठ जाने का
    प्यार भी आखिर रोज कितना करें,

    बहुत खूब पंक्तियाँ ।लाजबाब ।

    जवाब देंहटाएं
  2. कोमल अभव्यक्ति सुन्दर भाव बधाई .....

    जवाब देंहटाएं
  3. अपने गम को और कम कितना करें.......उपरोक्त प्रस्तुति हेतु आभार..............

    जवाब देंहटाएं
  4. है पता मुझको तेरे रूठ जाने का
    प्यार भी आखिर रोज कितना करें,waah....bahut accha vaise pyar me ruthna
    manana to chalte rahta hai...bahut acchi prastuti...dhirendra jee thanks nd aabhar.

    जवाब देंहटाएं
  5. हो गई है रीत अब तो, काम अब कितना करें।
    आओ अबू आराम करलें, काम अब इतना करें।।
    बहुत सुन्दर गज़ल!

    जवाब देंहटाएं
  6. सही है भाई ।

    पाप पुन्य के सन्दर्भ में--बेचारे--

    ये

    धर्म-कांटे भी हिसाब कितना करें ।

    बहुत बहुत बधाई ।

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत सुन्दर.....
    मगर ये छोटा सा काम है बड़ा मुश्किल....

    सादर

    जवाब देंहटाएं
  8. तुम हमे भूलो हम तुम्हे भूलें
    हो सके तो बस! काम इतना करें,

    bas itna hi kaam ho jaaye to behrat hai donon ke liye...!

    जवाब देंहटाएं
  9. पाप-पुण्य का होता कोई माप नही
    तौल-धरम का हिसाब ऐसे में कितना करें !!
    Achchi abhivyakti, shubhkaamnayen.

    जवाब देंहटाएं
  10. बात नही अगर कोई छुपाने की
    जमाने से डर फिर कितना करें,

    sach kaha !

    जवाब देंहटाएं
  11. है पता मुझको तेरे रूठ जाने का
    प्यार भी आखिर रोज कितना करें,

    ....बहुत खूब! ख़ूबसूरत प्रस्तुति...

    जवाब देंहटाएं
  12. "पाप-पुण्य का होता कोई माप नही
    तौल-धरम का हिसाब ऐसे में कितना करें,"

    वाह..सुंदर भावपूर्ण रचना.. !!

    जवाब देंहटाएं
  13. तुम हमे भूलो हम तुम्हे भूलें
    हो सके तो बस! काम इतना करें,


    बहुत खूब

    जवाब देंहटाएं
  14. है पता मुझको तेरे रूठ जाने का
    प्यार भी आखिर रोज कितना करें

    बहुत खूब लिखा है ..बधाई

    जवाब देंहटाएं
  15. बहुत खूब.. लाजबाब प्रस्तुति....बधाई धीरेन्द्र जी..

    जवाब देंहटाएं
  16. पाप-पुण्य का होता कोई माप नही
    तौल-धरम का हिसाब ऐसे में कितना करें,
    sach me

    जवाब देंहटाएं
  17. पाप-पुण्य का होता कोई माप नही
    तौल-धरम का हिसाब ऐसे में कितना करें,
    दुविधा वाली स्थिति है। इसी में राह बनाना है।

    जवाब देंहटाएं
  18. है पता मुझको तेरे रूठ जाने का
    प्यार भी आखिर रोज कितना करें,...

    बहुत खूब ... क्या बात कही है .. पर वो इस बात को नहीं मानेंगे ... प्यार के बदले प्यार जो चाहते हैं ...

    जवाब देंहटाएं
  19. वाह! क्या बात है.
    बहुत सुन्दर सटीक प्रस्तुति.

    जवाब देंहटाएं